हम जैसे सोचते हैं हमारा आचार - व्यवहार भी वैसा ही होता है, कभी रात के अंधेरे में किसी वस्तु को एक टक देखें तब उसे भी अपने मनोविचार जैसा आकार दे सकते हैं, दिन में करना संभव नहीं. क्योंकि दिन में शायद ही कोई होगा जिसे डर लगता हो. पर सत्य है डरता वो है जो गलत नीति या नीयत से काम करता है. सब हमारी मनोवृति पर तय है, अब यही पेंच फंस गया है कि 2019 में मोदी की सरकार नहीं बनेगी. भाजपा को लोकसभा में कम सीटें मिलेंगे, ये विचार अब शायद कुछेक भाजपा के नुमाइंदो के दिल में भी आने लगा होगा, भाजपा से गठबंधन किए हुए दलों को भी सताने लगा होगा. लेकिन अभी सुर्खियां आईं नहीं कहीं कांग्रेस का हाथ किसी दल को छोड़ कर किसी बड़े नेता ने थाम लिया है.
चलिए अभी 5 महीने बाकि है जो पांच सालों में नहीं हुआ केंद्र की भाजपा
सरकार उसे पूरा करने में जुटी हुई है, और विरोधी दलों का काम ही है टांग खींचना वो
भी बखूबी अपनी भूमिका निभा रहे हैं. कश्मीर से कन्याकुमारी तक जारी सियासत का
सिलसिला अब सीमा लांघ गया है और पाकिस्तान में श्रीकरतारपुर कोरिडोर के नींव पत्थर
रखने की तैयारी हो रही है. पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से 28 नवंबर
को नींव पत्थर रखने की तैयारी है, और भारत में भी ऐसा ही मुहुर्त 26 नंवबर को तय
हुआ था. पंजाब सीएम और भारत के उप राष्ट्रपति करतारपुर कोरिडोर का नींव पत्थर रखी.
अब भाजपा सरकार ने करतारपुर कोरिडोर की शुरुआत कर दी. पाकिस्तान की
तरफ से भी मसला सुलझता हुआ नजर आ रहा है. लेकिन घर के अंदर का मसला भाजपा कैसे
सुलझाना भूल गई और कब सुलझाएगी, राम मंदिर और बाबरी मस्जिद निर्माण कब होगा.
क्योंकि इतनी सी बात हमारी समझ में तो आ रही है कि जनता की भावनाओं के आधार पर
एकतरफा फैसला किसी भी सरकार के लिए हानिकाकरक हो सकता है. अब सरकार की सिरत नहीं
सुरत भी बिगड़ने वाली स्थिति में आ जाएगी अगर एकतरफा फैसला किया तो हानि हो सकती
है, वैसे भी अब शायद भाजपा सरकार कारगुजारी अमली जामे में ऐसी पहनाई जा रही है कि
सूरत अच्छी लगती है लेकिन सिरत नहीं भाती.
वैसे भी केंद्र सरकार का करतारपुर कोरिडोर को लेकर किया गया समागम
इतिहास में पहला ऐसा शिलान्यास होगा जो बिना शिला के हुआ है. यानि कैबिनेट मंत्री
सुखजिंदर सिंह रंधावा ने शिलान्यास से पहले ही शिलापट को उठवा दिया था. कहने का
भाव बिना पत्थर के नींव पत्थर रखा गय़ा.
चलिए अब इतना तय है कि एसजीपीसी का भविष्य अंतराष्ट्रीय नजर आ रहा है.
क्योंकि पाकिस्तान की तरफ से कोरिडोर के समागम पर भारत से एसजीपीसी के जत्थेदारों
को भी बुलावा भेजा गया है. अगर दोनों देशों में बातचीत सही रहती है तब
अंतराष्ट्रीय एसजीपीसी बनाने पर भी चर्चा हो सकती है. और यह बात मुकाम भी हासिल कर
सकती है.
पर जग घुमया थारे जैसा न कोई- भाजपा पर बात सही बैठती है क्योंकि
मंदिर निर्माण की बात जारी है. देखते हैं अब पांच राज्यों में किसके हक में जनता
अभारी है. और 5 महीने में 5 साल की से गोते लगा रही नईया क्या किनारे पर पहुंच
पानी है. राहुल गांधी में मझदार में धारा बदल कर, रुख की हवा मनमोहन की तरफ धकेल
लानी है.