#JabHarrymetSejal लपालप लपकने लगे
लगबेलु तू लिपस्टिक पर बनारसी बाबू
जब वी मेट के बाद इम्तियाज़ एक और
एक्सपरिमेंट कर चुके है, सेजल और हैरी के साथ…फिल्म कई मायनो में खास है..इम्तियाज़ के लिए बड़ी बात है जो शाहरुख़
का साथ है। और शाहरुख के लिए इसलिए ख़ास है कि शायद, इस फिल्म से खान साहब टिकट खिड़की पर थोडे
और रईस बन जाए…क्यूंकि रईस ने उन्हें काफी कुछ सिखाया है , वैसे भी
जनाब को मार्केटिंग गुरु कहा जाता है - शाहरुख जानते है कि अपनी फिल्म को कैसे
बेचना है लेकिन इस बार तो डिपलो का भी साथ
लिया है ताकि सबको फुर्र करदे…
बता दूँ कि #JabHarrymetSejal एक हिंदी रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्म है जिसका लेखन एवं निर्देशन इम्तियाज़
अली ने किया है। फ़िल्म का युवाओं को बेसब्री से इंतज़ार है।
क्यूंकि अब एक हफ्ता हो गया है,
कुछेक फिल्मे ( Mubarakan - Hindi, Indu Sarkar - Hindi,
Lipstick Under My Burkha - Hindi) बीते हफ्ते कुछ
रंग जमा नहीं पाई और कुछेक को रुझा नहीं पाई। कमाई भी संडे के दिन भी धंदे में
मंदे वाले हालात रहे।
अब शाहरुख़ और अनुष्का का फ़िल्मी
रोमांस कितना इल्मी रहता है - कितना दर्शकों को बांधे रखते है यह कल क्लियर हो
जाएगा। जिनको क्लियर नहीं हो पाएगा उनकी आँखों से पर्दा संडे के दिन उठ जाएगा , वैसे मंडे
को भी इस बार काफी हाउस फुल जाने वाला है, रक्षा बंधन है और इम्तियाज़ की रक्षा कितनी
शाहरुख और अनुष्का कर पाते है ये तो अब कुछ ही घंटों की बात है।
वैसे भी भारत में कोई ही पॉपुलर शहर रहा हो जहां #JabHarrymetSejal के हेरी और सेजल न पहुंचे हो। लेकिन जब बनारस में फिल्म के प्रमोशन के लिए
पहुंचे तो वहां भारतीय जनता पार्टी के सांसद और
भोजपुरी के सुपर स्टार मनोज तिवारी ने अपनी गृहनगरी बनारस में हैरी और सेजल
के साथ उनके डायरेक्टर इम्तियाज अली की काफी दिल से मेजबानी की और उन्हें गाना भी
सिखाया। सिखाया तो सिखाया साथ में बिठा के शाहरुख़ से गवाया भी.
इस दौरान खूब मस्ती के रंग में रंगे
बनारसी बाबू नज़र आए, जो 31 जुलाई को दिए गए अपने मर्यादा के पाठ को भी भूल गए ,जहां
उन्होंने मर्यादा में रहने की बात कही
थी। मर्यादा की सीमा इसलिए लांघ गए होंगे ,शायद
लेटेस्ट शो 'लिपस्टिक अन्डर माय बुर्का' देख
कर आए होंगे। तभी तो शाहरुख ने
अनुष्का के लिए लगावेलू तू लिपस्टिक
... गाना गाया और सांसद महोदय ने गवाया , सिखाया और
सुर से सुर भी मिलवाया।
दिल्ली के एक स्कूल में मर्यादा की
शिक्षा देने वाले सांसद के अंदर शायद अपना कलाकार जाग गया होगा ,जो चंद
पलों के लिए भूल गया कि समाज में एक गायक के साथ -साथ एक समाज सेवी भी है एक नेता
भी है -जिसको शोभा नहीं देते एक अभिनेता और अभिनेत्री के सामने चार कदम दूर से सुर
से सुर मिलता हुए , चरणवंदनीय नृत्य मुद्रा में नज़र आए.
चलो ये तो इनका व्यक्तिगत जीवन है, हम
व्यक्ति विशेष पर टिपण्णी नहीं कर सकते। लेकिन अमित शाह की सांसे फुल जाती है जब
सांसद संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं होते।
जहाँ जनता के हक़ की बात इन्हे उठानी होती है, वहां न जाने कितने नेताओं के गले सूखते नज़र
आते है , लेकिन साहिब गाना- गाना भी गवाइए भी लेकिन उसके लिए एक मंच भी तो बनाइये , यू ही एक
सड़क छाप की तरह हरकते करना और
गली-मोहल्लों के लोंडो वाले गाने गाना कहां सौभा देता है? फिर जब
लोंडे लोग ऐसी हरकते करते है तो उनके लिए ऐसे ही किस्से होते है जो वो मुद्दे बना
देते है। जब एक सांसद को शर्म नहीं आती तो उनको क्या ख़ाक फर्क पड़ेगा।