भारत
की राजनीति
में एक मई ऐतिहासिक
दिन रहा । हो भी क्यों न आज एक और भेदभाव की दीवार जो टूट गई । हम
बात कर रहे हैं सालों से चले आ रहे VVIP कल्चर की। एक मई दिन
सोमवार (बढ़े बढ़ो के सर से उतारा VIP का बुखार) से
देशभर में लाल बत्ती का कल्चर खत्म हो जाएगा। हांलाकि कुछ दिनों पहले ही इसकी घोषणा केंद्र सरकार की तरफ से की गई थी, लेकिन VVIP कल्चर को औपचारिक रुप से एक मई खत्म किया गया ।
हाँ शायद अखबारों की सुर्ख़ियों और टीवी चैनेल की हैडलाइन
में यही बताया गया कि देशभर
में लालबत्ती की घोषणा होने के बाद से ही कई दिग्गज नेताओं ने लाल बत्ती हटाकर विशिष्ट और आम जन के बीच के फर्क को कम करने की कोशिशें शुरू कर दी थी, जिनमें से अधिकतर बीजेपी के सांसद और मंत्री थे। वहीं, अब से अधिकारियों की गाड़ी से नीली बत्ती भी गुल रहेगी। प्रधानमंत्री ने अपने 31वें ‘मन की बात’ में भी VIP की जगह EPI पर जोर दिया। पीएम मोदी ने EPI का मतलब ‘एवरी पर्सन इज इंपोर्टेंट’ को बताया है।
मंत्रियों
का कहना है कि मोदी सरकार का फैसला बड़े बदलाव की दिशा में उठाया गया कदम है। लोकतंत्र में असली VIP तो जनता ही है। लेकिन, कहीं हां है तो कहीं ना भी सुनने को मिल रही है। योगी के यूपी में नीली बत्ती हटाकर VVIP कल्चर को खत्म करने के आदेश के खिलाफ प्रदेश के पीसीएस अधिकारियों ने मोर्चा खोल दिया। अधिकारियों ने सरकार के इस आदेश के खिलाफ पत्र लिखकर अपना कड़ा विरोध जताया। उनको ये फैसला रास नहीं आ रहा, अब आए भी कैसे.. लत जो लग गई है।
लत लग गई ...मुझे तो तेरी लत लग गई
उपरोक्त लिखा गाना सभी ने सुना ही होगा, नहीं भी सुना तो जरुरी नही की सुना ही
लिया जाए ,यहाँ लिखे अक्सर भी बयाँ यही
करते है कि जब किसी चीज़ की लत लग जाती है तो उसे छोड़ना मुश्किल होता है . किसी चीज़
का कोई कितना आदि हो सकता है ये तो आप किसी शराबी या फ़सादी से पूछों ,अगर नहीं पूछ सकते तो किसी आशिक से पूछों
? वैसे मुझे नहीं लगता की किसी को किसी और से पूछने की जरुरत है . क्यूंकि आशिकी
तो सभी ने की ही है और होगी , चाहे लाख मना किया जाए .
ठीक वैसे ही लालबत्ती का चस्का था ही कुछ ऐसा, जो सीधे सिर चढ़कर बोलता था। जो लाल बत्ती के लायक नहीं भी थे, उन्होंने भी इसके खूब मजे लिए। ऐसे कई उदाहरण आसानी से देखने को मिल जाते हैं। लालबत्ती के सहारे तले कोई परिवार को लेकर घूमने निकलता है, तो कोई दोस्तों के साथ घूमने। किसी को टोल से बचना हो तो या किसी को शादी में रोब झाड़ना हो ,एक लाला बत्ती के कई इस्तेमाल किए जा सकते हैं.. और होते भी आ रहे हैं, लेकिन अब उन लोगों का क्या होगा जो इस लालबत्ती के सहारे थे। हो कुछ भी लेकिन, अब लाल
और नीली बत्ती के इस्तेमाल पर अंकुश तो लग ही गया है।वैसे भी
लाल तो रंग ही कुछ ऐसा है , यहाँ बताने पर अक्षरों को बढ़ोतरी देने वाली बात है ,
आप खुद से भीतर से बहार तक इसको देख सकते और इसके किस्से और कद्र साथ में प्रयोग
के स्थान भी जान सकते हो .
वैसे भी अब लाल बत्ती का सबसे ज्यादा फायदा तो पुलिस
कर्मियों को होगा . लाल बत्ती की गाड़ी आते देख कई पुलिस वालों की साँसे फुल जाती
थी . अब उनको राहत है लेकिन दूसरी और एक आफत भी है , अब कुछेक जो पुलिस कर्मी थोड़े
मस्तोजादे अंजाद में रहते थे अब उनको ज्ञात भी नहीं होगा की कब कौन सा अधिकारी
कहाँ से आफत बनकर उनके सर पर आकर बैठ गया . क्यूंकि ये बात तो जग जाहिर है कि ट्रैफिक पुलिसकर्मी अधिकतर लाल बत्ती लगी गाड़ियों को इसलिए नहीं रोकते थे, क्योंकि उन्हें अपनी नौकरी जाने का खतरा रहता था। उन्हें डर रहता था कि गाड़ी किसी बड़े पद वाले शख्स की हो सकती है जो उनकी नौकरी छीन सकता है। अगर आंकड़ों पर गौर करें साल
2011 से 2013 के बीच दिल्ली में एक भी शख्स के खिलाफ बत्ती के गलत इस्तेमाल का केस दर्ज नहीं हुआ।
जो मैंने देखे या मेरे सामने आए साल 2014 में बत्ती के गलत इस्तेमाल को लेकर
10 मामले दर्ज किए गए जबकि
2015 में 7 मामले दर्ज हुए। लाल बत्ती को लेकर दिल्ली मोटर व्हीकल एक्ट के तहत यह नियम बनाया गया था कि किसी भी स्थिति में बिना अनुमति के वाहनों पर लाल या नीली बत्ती लगाने वालों पर कार्रवाई होगी।
अब जो भी हो चाहे पुलिस कर्मियों और ट्राफिक पुलिस मुलजिमों
को अपने घर का नंबर याद न हो अपनी गाड़ी का नंबर याद न हो लेकिन नेताओं और उच्च
अधिकारीयों की गाड़ी के नंबर के साथ साथ ये भी पता होगा के किसके पास कौन सी गाड़ी
है . इतना ही नहीं जैसे ही कोई अधिकारी या कर्मचारी और नेता घर से निकलता है तो
उसकी खबर हर पुलिस वाले को हुआ करेगी की ये नेता यहाँ से इस गली से गुज़ारा है .
नहीं तो पता नहीं कितने नपे जायेंगे .
कई होगे लाल-पीले,
कईयों के होंगे प्रोफाइल ढीले
अब लाल बत्ती बंद है तो इसका असर कई लोगों के प्रोफाइल पर
भी पड़ेगा , कई लोगों को अब अपना प्रोफाइल दिखाने का मौका भी सरकार ने खो लिया .
जमीनी तौर पर गाड़ी पर लाल बत्ती और पिली
की अपनी ही टोर थी ,लेकिन अब प्रोफाइल दिखाने और खुद को बढ़ा दिखने वाला साईन छीन
गया है तो गुस्से से चेहरा तो बहुत लाल पिला होगा, लेकिन करे तो करें क्या कुछ किसी
को कह भी नहीं सकते और हाल ए दिल बता भी नहीं सकते .
हाँ ये भी बात अब कबूल करनी पड़ेगी की इतिहास के पन्नों में
अब लाल बत्ती के किस्से दर्ज़ होंगे , स्कूल में छात्रों के पाठ्यक्रम में भविष्य
में अध्याय भी शुरू हो जाये और पाठ पढ़ाया जाये कि एक लाल बत्ती थी ,उसको नेता लोग
अपनी धोंस दिखाने के लिए ज्यादा और अधिकारी अपना नाम बनाने के लिए इस्तेमाल किया
करते थे . जैसे ही उनका काफिला आगे निकल जाता था तो पीछे से उन्ही की मुहं पर जय-जय
करने वाले पीछे से उनको अपशब्द कहा करते थे .हालाँकिऐसा कहीं पढ़ाया नहीं जाता ये
बात जरुर भविष्य में लोगों के द्वारा उनके बच्चों में बोली जाएगी .
क्यूंकि इस बात का
गवाह इतिहास है वो गुजरा वक्त है जब कई फर्जी अधिकारी और लाल बत्ती वाले पकडे जाते
थे .लाल बत्ती की आड़ में कईयों ने कई लोगों का जीना दुस्वार किया हुआ था .मुझे नहीं
लगता कि कोई ही ऐसा राज्य बचा हो जो फर्जी अधिकारीयों और लाल बत्ती के शोकीनों से
शिकार नहीं हुआ हो . बहुत सी ऐसी ख़बरें आया करती थी जहाँ इसका दुरपयोग किया जाता
था .
अच्छा लाल बत्ती तो एक तरफ जो सभी के संज्ञान में थी ,
लेकिन अभी भी VIP पार्किंग, VIP एंट्री, VIP रोड और पता नहीं क्या क्या VIP ? शायद
ऐसी ही बहुत से बोर्ड जो अपने भी राह चलते
कहीं देखे होंगे , कहीं पढ़े होंगे या फिर इसका शिकार बने होंगे . मंदिर,
गुरुद्वारा, मस्जिद जो भी धार्मिक जगह है
वहां जाने वैसे तो यही बोलते है – रब के घर सब एक लेकिन फिर नेताओं और अधिकारीयों
के लिए क्यूँ VIP रास्ता बनाया जाता है . कुछेक को छोड़कर सभी के लिए VIP अब मान्य
है . यहाँ तक की आजकल तो वो भी VIP हो गए है जो VIP के रिश्तेदार है .ऐसे कई वाक्य
आपको देखने को मिल जायेंगे किसी भी ख़ास पर्यटनस्थल या मंदिर में चले जाइएगा . सब
जगह आपको VIP और VVIP का किस्सा मिल ही जाएगा .
चलो देर आए दुरुस्त
आए - देश में बढ़ते वीआइपी कल्चर पर अंकुश लगाते हुए मोदी सरकार ने सभी नेताओं, जजों तथा सरकारी अफसरों की गाडि़यों से लाल बत्ती हटाने का निर्णय लिया है। इनमें राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्री तथा सभी सरकारी अफसरों के वाहन शामिल हैं। अब केवल एंबुलेंस, फायर सर्विस जैसी आपात सेवाओं तथा पुलिस व सेना के अधिकारियों के वाहनों पर नीली बत्ती लगेगी। यह फैसला पहली मई से लागू होगा।
गौरतलब
है कि लंबे समय से सड़क परिवहन मंत्रालय में इस मुद्दे पर काम चल रहा था। इससे पहले पीएमओ ने इस पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई थी। पीएमओ ने पूरे मामले पर कैबिनेट सेक्रटरी सहित कई बड़े अधिकारियों से चर्चा की थी। इसमें विकल्प दिया गया था कि संवैधानिक पदों पर बैठे 5 लोगों को ही इसके इस्तेमाल का अधिकार हो। इन पांच पदों
में
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा स्पीकर शामिल हों, हालांकि पीएम ने किसी को भी रियायत न देने का फैसला किया था।
आपको
यहाँ याद दिला दें कि
सुप्रीमकोर्ट
ने भी अनावश्यक लाल बत्तियां हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने लाल बत्ती की संस्कृति को हास्यास्पद व ताकत का प्रतीक बताया था। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कारों से लाल बत्ती हटाने का ऐलान कर इसे मजबूती प्रदान करने का काम किया।
2014 में कोर्ट ने पुन: लाल बत्ती को स्टेटस सिंबल बताते हुए संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों तथा एंबुलेंस, फायर सर्विस, पुलिस तथा सेना को छोड़ किसी को भी लाल बत्ती लगाने की जरूरत नहीं है। बाद में 2015 में सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को विशिष्ट व्यक्तियों की सूची में भारी काट-छांट करने का निर्देश दिया था। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने फैसले को ऐतिहासिक व लोकतांत्रिक बताते हुए कहा, 'यह सरकार आम लोगों की सरकार है। इसीलिए हमने लाल बत्ती और साइरन वाली वीआइपी कल्चर को खत्म करने का फैसला किया है। इस फैसले से जनता में मोदी सरकार के प्रति भरोसा और बढ़ेगा।
आपको
यह भी याद होगा कि पूर्व बंग्लादेश की प्रधानमंत्री की अगवानी करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी रूट के नियमित ट्रैफिक में एअरपोर्ट गए थे। शायद उस वक्त तक उन्होंने वीआइपी कल्चर पर अंकुश की शुरूआत का निर्णय ले लिया था। यही कारण है कि वह कैबिनेट की बैठक में आए तो अपनी ओर से ही यह निर्णय सुना दिया।
पंजाब
के सीएम अमरिंदर सिंह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ लालबत्ती का इस्तेमाल पहले ही छोड़ चुके हैं। आमतौर पर वीआईपी रूट के दौरान पुलिस बैरिकेट्स लगा देती है, और कई जगह का ट्रैफिक रोक देती है।जिसकी वजह से आम लोगों को काफी दिक्कत होती है। अप्रैल की शुरुआत में एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें एक एम्बुलेंस को पुलिस ने रोक दिया था। एंबुलेंस में घायल बच्चे को ले जाया जा रहा था।
अब
एक मई से लाल बत्ती का इस्तेमाल बंद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले के बाद एक ट्वीट भी किया। उन्होंने कहा कि हर भारतीय खास है। हर भारतीय वीआईपी है।इस असाधारण फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'इस ऐतिहासिक निर्णय में कैबिनेट ने आपात सेवाओं को छोड़ सभी वाहनों से बीकन बत्तियां हटाने का निश्चय किया है। इसके लिए संबंधित नियमों में संशोधन किया जाएगा।' बहरहाल केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि इस फैसले की अधिसूचना जनता से राय के बाद जारी की जाएगी।
'जेटली के मुताबिक फैसले के तहत मोटर व्हीकल एक्ट के नियम 108 (i) और 108 (iii) के तहत केंद्र और राज्य सरकारों के वीआईपी की गाड़ियों में लाल बत्ती लगाने का हक मिला हुआ था, लेकिन अब यह नियम रद्द किया जा रहा है। यानी अब देशभर में किसी भी गाड़ी पर लाल बत्ती नहीं लगाई जा सकेगी।जेटली ने कहा कि नियम 108 (2) में राज्य सरकारों को वीआईपी गाड़ियों पर नीली बत्ती लगाने की परमिशन देने का हक था, लेकिन अब इसे भी बदला जा रहा है।
जब
पंजाब में लाल बत्ती के संबंध में कदम उठाया गया तो इसकी हवा हिमाचल ही वादियों तक भी पहुंची। हिमाचल प्रदेश के परिवहन मंत्री जी एस बाली ने भी इस और अमल किया और लाल बत्ती को अपनी गाड़ी से उतार कर साइड कर दिया।
गडकरी
ने सबसे पहले अपनी कार की लाल बत्ती हटाई। इसके बाद कई अन्य मंत्रियों को भी ऐसा ही करते देखा गया। गिरिराज सिंह ने बाकायदा पोज देकर अपनी कार की बत्ती हटाई। उमा भारती को भी बत्ती हटाते देखा गया।मंत्रियों को भी कार में साइरन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है। केवल पायलट पुलिस वाहन ही इसका प्रयोग कर सकते हैं। अब जो भी उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी करने से पूर्व इस पर जनता की राय ली जाएगी।
पंजाब में लालबत्ती पूरी तरह बैन
पंजाब में हाल ही में बनी कांग्रेस सरकार ने लालबत्ती का
इस्तेमाल पूरी तरह बैन कर दिया है। सीएम अमरिंदर सिंह ने अपनी पहली ही कैबिनेट
मीटिंग में यह फैसला किया था। इसके तहत राज्य का कोई भी अफसर, मंत्री या
विधायक अपनी गाड़ी पर लाल बत्ती नहीं लगा सकेगा। पंजाब चुनाव से पहले आम आदमी
पार्टी ने भी वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो, वे लालबत्ती
कल्चर खत्म कर देंगे।
सबसे पहले
AAP ने बैन की थी लाल बत्ती
बता दें कि लाल बत्ती पर बैन का फैसला सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने लिया था, जब दिसंबर 2013 में दिल्ली में उसकी सरकार बनी थी। बाद में फरवरी
2015 में वह दोबारा सत्ता में तब भी यह नियम जारी रहा। पंजाब में हाल ही में बनी कांग्रेस सरकार ने लाल बत्ती का इस्तेमाल पूरी तरह बैन कर दिया है। यहां भी किसी अफसर, मंत्री या विधायक को गाड़ी पर लाल बत्ती लगाने की इजाजत नहीं है।उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद यहां भी लाल बत्ती का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है।
पीएमओ में डेढ़ साल से
पेंडिंग था मामला
बताया जा रहा है कि
सरकारी गाड़ियों पर बत्ती का इस्तेमाल खत्म करने के लिए रोड एंड ट्रांसपोर्ट
मिनिस्टरी काफी वक्त से काम कर रही थी। पीएमओ में यह मामला करीब डेढ़ साल से
पेंडिंग था। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पीएमओ ने एक मीटिंग भी की थी, जिसमें कई बड़े आॅफिसर्स से बात की थी। फैसला
कैसे लागू किया जाये, इस पर ट्रांसपोर्ट
मिनिस्ट्री ने अपनी ओर से 5 आॅप्शन दिये थे।
क्या थे आॅप्शन?
रोड ट्रांसपोर्ट
मिनिस्ट्री ने लाल बत्तीवाली गाड़ियों के इस्तेमाल के मुद्दे पर कई सीनियर
मंत्रियों से चर्चा की, जिसके बाद उन्होंने पीएमओ
को कई विकल्प दिये थे। इन विकल्पों में एक यह था कि लालबत्तियों वाली गाड़ी का
इस्तेमाल पूरी तरह से बंद किया जाये। दूसरा विकल्प यह कि संवैधानिक पदों पर बैठे
पांच लोगों को ही इसके इस्तेमाल का अधिकार हो। इनमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा स्पीकर शामिल हों। हालांकि, पीएम ने किसी को भी रियायत न देने का फैसला
किया।
नियमों में बदलाव: -
दिल्ली मोटर व्हीकल रुल्स के मुताबिक,
बत्ती के गलत इस्तेमाल पर पहली बार पकड़े जाने पर 100 रुपये और उसके बाद पकड़े जाने पर 300 रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा।
इमरजेंसी सर्विसेज जैसे एंबुलेंस,
फायर ब्रिगेड और पुलिस पेट्रोल वाहन पर नीली बत्ती लगाने की अनुमति होगी। दिल्ली मोटर व्हीकल रुल्स
1993 के एक्ट 97 (2) के मुताबिक,
इन वाहनों को नीली बत्ती लगाने की अनुमति थी।
घूमने वाली या फ्लैशर लाल बत्ती अब सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले वाहनों जैसे एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड,
पीसीआर वैन में ही इस्तेमाल की जा सकेगी। इन वाहनों पर छत के बीचोंबीच बत्ती लगाई जाएगी।
पुलिस पेट्रोल वाहन,
पायलट वाहन, ट्रांसपोर्ट विभाग के वाहन एक निशानी के तौर पर घूमने वाली या फ्लैशर नीली बत्ती का इस्तेमाल विंड स्क्रीन के ऊपर और सामने वाले हिस्से में कर सकते हैं।
घूमने वाली या फ्लैशर पीली बत्ती का इस्तेमाल सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की ड्यूटी में लगे वाहनों पर किया जा सकेगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के नोटिफिकेशन –
घूमने वाली या फ्लैशर लाल बत्ती का इस्तेमाल सिर्फ राष्ट्रपति,
उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति,
उपप्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस,
लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष,
पूर्व प्रधानमंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के जज कर सकते हैं।
बिना फ्लैशर वाली लाइट मुख्य चुनाव आयुक्त, CAG, राज्यसभा के उपसभापति, लोकसभा के उपाध्यक्ष, केंद्रीय राज्यमंत्री,
कैबिनेट सचिव, तीनों सेनाओं के जनरल,
केंद्र के उपमंत्री,
तीनों सेनाओं के लेफ्टिनेंट जनरल या बराबर की पोस्ट के अधिकारी,
सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के चेयरमैन,
अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन, अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग के चेयरमैन, केंद्रीय लोकसेवा आयोग के चेयरमैन और सॉलिसीटर जनरल कर सकते हैं।
मंत्रालय के नए नोटिफिकेशन में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और चीफ जस्टिस को बत्ती के इस्तेमाल की छूट दी गई है।
अब
देखना ये है कि VIP कल्चर की और सरकार ने एक कदम तो बढ़ा दिया है .कदम दर कदम ही
मंजिल तक पहुंचा जाता है ,चाहे देर ही सही लेकिन कुछ सही तो होगा .हाँ अगर विपक्ष
का कोई विरोध न हुआ तो शायद विकास को रफ़्तार और आम जन का विकास जरुर जल्द होगा
.उम्मीद है भविष्य बेहतर होगा .