गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

सालों से किए काम से नहीं, व्यक्ति सिखने से आगे बढ़ता है



एक अरसे से हम एक बात सुनते आए है. बड़पन ही होगा शायद जो जमीं से जुड़ते आए हैं, औकात की बात करते हैं नहीं , क्योंकि खुद खुदा ने भी जन्म दाता और गुरु के आगे सर झुकाए है. ख्याल भी नहीं उन बातों का, जिसने राह में रोड़े अटकाए हैं। अनुभव तो सियासत के धुरधंरों को भी बहुत है -फिर क्यों वो हारते आए हैं। जीत उनके सर जो पञ्च तत्वों से भी सीख कर, लकीर के फ़क़ीर से तक़दीर चमकाते आए है। काम तो है सालो का उनका, अनुभव फिर क्यों सवालों में अब, जो हमारे कर्म पर तंज़ और मेहनत को भ्रम समझते आए है। 

बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

अजीब और गरीब सा अनुभव

आज बहुत अजीब और गरीब सा अनुभव दिमाग में आया,,,,, क्या सिर्फ इस्तेमाल करने की वस्तु हूँ या सबका ख्याल करने की । जब किसी को कोई परेशानी है तब सुनील याद आता है ,वरना हमारी तन्हाई की सिबा हमे कौन भाता है ? चल विचर रहा हूँ अपने ही मन में -सवाल की भी खाल का बाल की खाल निकाल लाता हूँ। कोई रंग नहीं कोई ठंग नहीं - वक्त मिले तब ध्यान देना मलंग ठंग से ही गुनगुनाता हूँ।जरुरत नहीं किसी के कंधे की खुद के आंसू खुद के अंदर ही जलाता हूँ। आँखों के नीच बेशक काले घेरे है -उल्लू नहीं जो  रातों को दिन कहलाता हूँ। कोई अपने किए पर पछताए - अपने ही आप को दोषी ठहरता हूँ।  हूँ नहीं इस जग का - साध शांत तो शांति बिगड़ा तो क्रांति कहलाता हूँ।